अल्पविराम: साझा करें अपने अनुभव
शांत समय में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना भी एक अभ्यास ही है। या फिर हम कहें कि यह एक प्रकार का ‘अल्पविराम’ है, जिसके माध्यम से हम स्वयं दिशा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। जरा सोचिए, यदि हम स्वयं आनंदित होंगे तभी तो दूसरों के आनंदित रहने का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे! हमारे द्वारा किये गए कार्य, जो स्वयं के साथ दूसरों को भी आनंदित करे इस बात का प्रमाण होते हैं कि हम किस तरह का व्यक्तित्व हैं और कैसा जीवन जी रहे हैं।
अपने आसपास के लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास आवश्यक है, जिससे उनकी जीवनशैली, कार्यशैली एवं सहज जीवन को और अधिक विकसित और समृद्ध किया जा सके। ऐसा इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि सिर्फ भौतिक सुविधायें तथा समृध्दि ही आनंदपूर्ण मनोस्थिति का कारक नहीं होती। अतः यह आवश्यक है कि लोगों का दृष्टिकोण जीवन की परिपूर्णता की मौलिक समझ पर आधारित हो।
‘अल्पविराम’ राज्य आनंद संस्थान, मध्यप्रदेश द्वारा संचालित एक ऐसी ही गतिविधि है, जिसके माध्यम से जीवन में सकारात्मक सोच को विकसित करने का प्रयास किया जा सके। क्योंकि यदि मन प्रसन्न होगा तो निश्चित ही उसका परिणाम लोगों की जीवन शैली व उनके व्यवहार में दिखेगा। ‘अल्पविराम’ कार्यक्रम का आनंद भी इसी खोज में है। अतः प्रदेश में लोगों को इसका अनुभव कराते हुये इस मार्ग पर सतत् रूप से चलाने व उन्हें प्रेरित करने के लिए ‘अल्पविराम’ एक उत्कृष्ट एवं अच्छा माध्यम है।
संस्थान द्वारा भोपाल तथा अन्य संभागीय मुख्यालयों में समय-समय पर एक दिवसीय अल्पविराम कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इसके अतिरिक्त सभी 53 जिलों में प्रशिक्षित आनंदम सहयोगियों के द्वारा भी 2 से 3 घंटे के यह कार्यक्रम होते हैं। राज्य आनंद संस्थान की बेवसाइट पर प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार के लिए 05 दिवसीय ऑनलाईन अल्पविराम कार्यक्रम आयोजित किए जाते है । कार्यक्रम में सहभागिता हेतु राज्य आनंद संस्थान की वेबसाइट https://www.anandsansthanmp.in/hi/alpviram-training पर पंजीयन तथा विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अल्पविराम कार्यक्रम में भाग ले चुके साथियों से अनुरोध है कि इस कार्यक्रम के पश्चात, आपके जीवन में जो भी परिवर्तन आया हो या आपने जो भी अनुभव किया हो उसे यहां हमारे साथ अवश्य साझा करें।
फीडबैक : https://www.anandsansthanmp.in/hi/anandsansthan-training-feedback
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AjitRanjan 1 year 7 months ago
आनंद एक मन की स्थिति है। जिस समय मन में सकारात्मक सोच हो बाह्य दृश्य भी अप्रतिम सौंदर्य एवम प्रेम से भरा हो आनंद ही आनंद महसूस होता है। यह जानते हुए की जीवन क्षणभंगुर हैं। भौतिक सुख के लिए निरंतर भागम भाग ने आनंद को समाप्त कर अवसाद को जन्म दे दिया है। जीवन एक उत्सव है जो दुर्लभ है इसका मजा लीजिए और आनंद मनाइए। उक्त संस्थान द्वारा संचालित कार्यकर्म आनंददाई है
SANJAY KUMAR BUNKAR 1 year 7 months ago
आनंद की अनुभूति बाहर से नहीं होती। भूल करके आनंद को सुख न समझना। आनंद और सुख में अंतर है। सुख दुख का अभाव है; जहां दुख नहीं है वहां सुख है। दुख सुख का अभाव है; जहां सुख नहीं है वहां दुख है। आनंद दुख और सुख दोनों का अभाव है; जहां दुख और सुख दोनों नहीं हैं, वैसी चित्तकी परिपूर्ण शांत स्थिति आनंद की स्थिति है। आनंद का अर्थ है– जहां बाहर से कोई भी आंदोलन हमें प्रभावित नहीं कर रहा–न दुख का और न सुख का।
Ruplal 1 year 7 months ago
बहुत कछा लेख
Dheerendra Patel 1 year 7 months ago
जब तक जिन्दगीहै तब तक आनंद ही आनंद हैं,
Santanu Datta 1 year 7 months ago
Make sometime in your daily life to connect with this cosmos. Ask yourself "Who am I? From where I have come? Where I will go?" This questions will take you to cosmos. Stay there for some time. That is our place not this earth.
AYUSH 1 year 7 months ago
शांत समय में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना भी एक अभ्यास ही है या फिर हम कहें कि यह एक प्रकार का ‘अल्पविराम’ है, जिसके माध्यम से हम स्वयं दिशा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।जरा सोचिए यदि हम स्वयं आनंदित होंगे तभी तो दूसरों के आनंदित रहने का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे!हमारे द्वारा किये गए कार्य, जो स्वयं के साथ दूसरों को भी आनंदित करे इस बात का प्रमाण होते हैं कि हम किस तरह का व्यक्तित्व हैं और कैसा जीवन जी रहे हैं।
अपने आसपास के लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास करे ।
AYUSH 1 year 7 months ago
शांत समय में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को सुनना भी एक अभ्यास ही है या फिर हम कहें कि यह एक प्रकार का ‘अल्पविराम’ है, जिसके माध्यम से हम स्वयं दिशा और मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। जरा सोचिए यदि हम स्वयं आनंदित होंगे तभी तो दूसरों के आनंदित रहने का मार्ग प्रशस्त कर सकेंगे!हमारे द्वारा किये गए कार्य, जो स्वयं के साथ दूसरों को भी आनंदित करे इस बात का प्रमाण होते हैं कि हम किस तरह का व्यक्तित्व हैं और कैसा जीवन जी रहे हैं।
अपने आसपास के लोगों में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए निरंतर प्रयास करे ।
Tabrejkhan 1 year 7 months ago
Alpviram ka jindagi me Bahut hi jaroori jab sanghars karne ke bad rasta nahi milta he or dimag kam karna band kar de toalapbiram le na chahiye
Anshul Parmar 1 year 8 months ago
बदलता भारत मुझे गर्व है की में भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता हु ।।जो पार्टी मेरे देश और मेरे देश के गरीब दलित लोगो के लिए सोचती है।।
Dr Usha Shukla 1 year 8 months ago
जीवन की आपाधापी में मन बेकाबू होने लगता है ऐसे ही मनको शाश्वत शांति और शक्ति देता है -अल्पविराम